Thursday, May 3, 2018

छोटी है ना

माँ तू मेरी चिंता मत कर
छोटी है ना
सुबह से पहले वो उठ जाती
भइया भइया शोर मचाती
सूरज का आशीष मांगकर
चंदा को है गीत सुनाती
धमा चौकड़ी दिन भर करती
आंगन में चंचलता भरती
डांट डपटकर धाक जमाती
उल्टे को सीधा कर जाती
कभी सुबकती भोली भाली
बातें उसकी बड़ी निराली
खाली पेट नही हूँ चुप कर
उसने बनाई
दो रोटी है ना
माँ तू मेरी चिंता मत कर
छोटी है ना
सब कुछ तौर तरीके से है
सुंदर और सलीके से है
शिल्पकार है चित्रकार है
मधुर साज की मृदुपुकार है
दीवारों पर चित्र सजे हैं
आंगन कमरे मित्र लगे हैं
कल कल करता है पनियारा
खूब महकता है गलियारा
अस्त ब्यस्त नही है कुछ
हर कोने को संजोती है ना
माँ तू मेरी चिन्ता मत कर
छोटी है ना ।।
देवेंद्र प्रताप वर्मा"विनीत"

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