Saturday, April 28, 2018

आना तू फिर से

ओ मेरी रानी
तेरी कहानी
तुझको सुनाऊंगा
बातें बनाऊँगा
आना तू फिर से
आना तू फिर से
भइया मै तेरा
कन्हैया मै तेरा
नाचूंगा गाऊंगा
बंशी बजाऊंगा
आना तू फिर से
आना तू फिर से।।
आंगन की कलियां
मुहल्ले की गलियां
झोंके पवन के
झरोखे गगन के
गुमसुम हैं सारे
तुमको पुकारे
आना तू फिर से
आना तू फिर से
किताबों के पन्ने
खुले रह गए
कि कुछ पढ़ के
तुमने छोड़ा जहां था
कलम की उमंगों की
ख्वाहिश अधूरी
कि कुछ लिख के
तुमने रोका जहां था
करने को पूरी
कहानी अधूरी
आना तू फिर से
आना तू फिर से।
ग़म की चुभन में
हंसी मखमली सी
अंधेरों में जीवन की
तुम रोशनी सी
पर्वत सरीखी
तुम्हारी ऊंचाई
पीड़ा की आंधी
हिला भी न पाई
सहनशीलता की
प्रतिमान बनकर
धरा पर धरा की
पहचान बनकर
आना तू फिर से
आना तू फिर से।
अब हौंसलों में
रौनक नही है
तुम जो गए
कोई दौलत नही है
खाली है कमरा
आंगन बगीचा
सूखी लताओं को
तुमने था सींचा
जूही के पत्तों पे
ओस की बूंदे
तरसे तुम्हारी
निगाहों को ढूंढे
भरने को जीवन में
जीवन की धारा
हृदय ने लरज़ते
लबों से पुकारा
आना तू फिर से
आना तू फिर से।।

देवेंद्र प्रताप वर्मा"विनीत"

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