Friday, May 1, 2020

मैं तुम्हारी कहानी का किरदार हूँ

मेरी कोई कहानी नही
मैं तुम्हारी कहानी का किरदार हूँ।
तुम चलो जिस डगर वो ही मेरी डगर
मुश्किलों के दौर में वफ़ादार हूँ।
चोट तुमको लगी टूट मैं भी गया
दर्द को दर्द का इल्म हो ही गया।
मेरे ग़म का कोई आसरा ही नही
संग ग़म में तेरे सिलसिलेवार हूँ।
खुद से ज्यादा भरोसा जो तुमने किया
उस भरोसे की बुनियाद हिल सी गई।
देखता ही रहा कुछ कर न सका
सच कहूं मैं तुम्हारा गुनाहगार हूँ।
छोड़ कर तुम अधूरी कहानी चले
आग हर पल मेरे हृदय में जले।
पार होगा ये दरिया भला किस तरह
नाव तुम हो मैं केवल पतवार हूँ।
तुमने छोड़ा जहां मुझसे कुछ न कहा
जो भी कहना था वो दिल मे ही रहा
शब्दों में ढूढ़ता फिर रहा दर बदर
पथ से भटका हुआ मैं कलमकार हूँ।

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