Friday, May 1, 2020

याद है मुझको खोना तेरा

मुझसे लिपटकर रोना तेरा
याद है मुझको खोना तेरा।
अश्रुमयी तुम द्वार खड़ी तुम
मुझको जाते टोक सकी ना।
क्षण निष्ठुर निर्मोही कैसा
हाय मुझे क्यों रोक सकी ना।
बेसुध होकर सोना तेरा
याद है मुझको खोना तेरा।
एक समय था तेरे बिन
न दिन कटते न रात गुजरती
खुशियों की रौनक होती
जब जब तेरी मुस्कान उभरती।
खाली घर का कोना तेरा
याद है मुझको खोना तेरा।
कैसी विवशता कैसी उलझन
मैं क्यों कुछ भी समझ न पाया।
नियति ने ऐसा खेल रचाया
मन को पागल कर भरमाया।
निराश्रय हो रोना तेरा
याद है मुझको खोना तेरा।

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