वह बहुत खुश थी आज
और मैं उससे भी अधिक खुश था
उसे खुश देख।
वह मेरी हथेलियों के साथ
अपनी हथेलियों की छाप
लेना चाहती थी
आंगन की दीवार पर।
सहेज कर रखना चाहती थी
हमारे प्रेम की एक अनूठी निशानी
हमारे जाने के बाद भी।
उसकी मासूमियत में डूबा
मैं इनकार नही कर पाया।
और मैं उससे भी अधिक खुश था
उसे खुश देख।
वह मेरी हथेलियों के साथ
अपनी हथेलियों की छाप
लेना चाहती थी
आंगन की दीवार पर।
सहेज कर रखना चाहती थी
हमारे प्रेम की एक अनूठी निशानी
हमारे जाने के बाद भी।
उसकी मासूमियत में डूबा
मैं इनकार नही कर पाया।
गहरे गुलाबी रंग में डूबी
हमारी हथेलियों की छाप
आंगन की दीवार पर ली गई।
एकदम सटीक चमकदार
बिल्कुल उसके व्यक्तित्व की तरह
उसकी हथेली की छाप
स्पष्ट नजर आ रही थी।
और अपनी छाप को देखते हुए
मेरी हथेलियां और मेरी जुबां
लड़खड़ा रही थी
नही जान पाया मैं
उस लड़खड़ाहट की वजह
उस वक़्त।
आज जबकि वह नही है।
मेरी पलके अश्रु में डूबी
आंगन की दीवार पर
अपनी हथेलियों की छाप पर
हथेलियों को रखती,
उसकी हथेलियों की छाप को
निहारती है।
हमारी हथेलियों की छाप
आंगन की दीवार पर ली गई।
एकदम सटीक चमकदार
बिल्कुल उसके व्यक्तित्व की तरह
उसकी हथेली की छाप
स्पष्ट नजर आ रही थी।
और अपनी छाप को देखते हुए
मेरी हथेलियां और मेरी जुबां
लड़खड़ा रही थी
नही जान पाया मैं
उस लड़खड़ाहट की वजह
उस वक़्त।
आज जबकि वह नही है।
मेरी पलके अश्रु में डूबी
आंगन की दीवार पर
अपनी हथेलियों की छाप पर
हथेलियों को रखती,
उसकी हथेलियों की छाप को
निहारती है।
उसकी हथेलियों की छाप
आज भी उतनी ही स्पष्ट और
चमकदार है।
मानो कहना चाहती हो
कि तुम्हारी हथेलियां
केवल रंग में डूबी थी
जबकि मैने रंग और प्रेम
दोनों में डुबाया था।
हकीकत यही थी कि
तुममे खोकर मैंने
खुद को पाया था।
आज भी उतनी ही स्पष्ट और
चमकदार है।
मानो कहना चाहती हो
कि तुम्हारी हथेलियां
केवल रंग में डूबी थी
जबकि मैने रंग और प्रेम
दोनों में डुबाया था।
हकीकत यही थी कि
तुममे खोकर मैंने
खुद को पाया था।
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