मैंने कहा
तुमने नही सुना
मैंने लिखा
तुमने नही पढ़ा
मैंने फिर कहा
तुमने फिर सुना नही
मैंने फिर लिखा
तुमने फिर पढ़ा नही
मैं रोई
हाँ मै बहुत रोई
तुम जा रहे थे
मेरे अश्रु तुम्हें रोक ना सके
अश्रुधार के पीछे
छिपी अपार पीड़ा
आँखों में बिलखते प्रेम को
तुम देख ना सके
तुम चले गए
और कुछ दिनों बाद
मैं भी चली गई ।
एक दिन
तुम लौट आए
हाँ आखिर जब तुम लौट आए
मैंने देखा तुम्हें
बेहद बदहवास और
बिखरे हुए थे।
ढ़ूंढ़ रहे थे मुझे
मेरी हर एक निशानी में
पर
अब मैं बाकी नही थी
तुम्हारी किसी कहानी में
तुम मुझे न सुन सकते हो
न देख सकते हो अब ।
मै सीमा
तुम्हारी सीमाओं से परे
अब भी
सुन सकती हूँ तुम्हें
देख सकती हूँ तुम्हें ।
आत्म ग्लानि में डूबे
मेरी तस्वीर को निहारते
क्यों ढ़ूंढ़ रहे हो
उन सवालों के जवाब
जिनका उत्तर मैं हूँ।
प्यारे भईया !
सुनो मेरी
छोड़ दो
अपनी जिद
लाख कोशिश करो
नही पाओगे
अब मुझे दोबारा।
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