आ जाओ
मेरी प्यारी बहना
तुझसे बिछड़कर
नहीं मुझको रहना।
तुझ बिन अधूरी है
जीवन की सरगम
तू बनके ख़ुशबू
महकती थी हरदम।
गीतों की माला के
एक गीत जैसा
नहीं चाहता
गुनगुनाते ही रहना।
आ जाओ
मेरी प्यारी बहना
तुझसे बिछड़कर
नहीं मुझको रहना।
-देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
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