Monday, February 19, 2024

मेरी यादों की गुल्लक

ठहर जाओ चाँद तारों

ठहर जाओ रात

ठहर जाओ साजन

अभी देर है बहुत

होने में प्रात।


कर लेने दो मुझे

मेरे हिस्से का श्रम

जानती हूँ नही है

और कोई उपक्रम

वक़्त की इक इक पाई

कमाने दो

कतरा कतरा सहेज कर

लाने दो

हमारे साथ गुज़रे

खूबसूरत लम्हो के

सिक्को से भर जाने दो

अभी खाली है

जानते हो न

अभी खाली है

मेरी यादों,जज्बातों

एहसासों की गुल्लक

जो बहुत काम आएगी

तुम्हारे

मेरे साजन

मेरे जाने के बाद।


जब कभी तुम होगे

बहुत खाली बहुत उदास

मेरे स्पर्श, मेरी संवेदना,

मेरे एहसास को

ढूंढते

ख्वाबो के जंगल

में थके टूटे हारे

चांद तारों को निहारते

प्रात का पंथ बुहारे

नही पाओगे मुझे

कहीं भी

जब कभी

तो फोड़ लेना मेरी

यादों की ये गुल्लक।


इसमे जमा

लम्हो के सिक्कों से

तुम जरूर

खरीद पाओगे

वक़्त के बाजार से

मेरी हसीन झिलमिलाती

मुस्कुराती यादें

जो भर देगी

तुम्हारी उदासी

तुम्हारे खालीपन को

शुकून से, उमंग से

आनंद से।


मैं जानती हूँ

मेरी यादों,जज्बातों

एहसासों की गुल्लक

बहुत काम आएगी

तुम्हारे

मेरे साजन

मेरे जाने के बाद ।।


-देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'

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